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इस वर्ष की शुरुआत से एपल और माइक्रोसॉफ्ट के शेयर्स के बीच मार्केट कैपिटलाइजेशन में पहले स्थान को लेकर कॉम्पिटिशन है। इस महीने की शुरुआत में माइक्रोसॉफ्ट का मार्केट कैपिटलाइजेशन दो वर्षों में पहली बार iPhone बनाने वाली एपल से अधिक हो गया था। इससे यह दुनिया की सबसे अधिक वैल्यू वाली कंपनी बन गई थी। हालांकि, इसके बाद एपल ने अपनी टॉप पोजिशन दोबारा हासिल कर ली थी। माइक्रोसॉफ्ट के शेयर का प्राइस बुधवार को 1.7 प्रतिशत बढ़कर 405.63 डॉलर के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया था। इससे कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन तीन लाख करोड़ डॉलर को पार कर गया था। हालांकि, इसके बाद कंपनी के शेयर प्राइस में कुछ गिरावट आई थी। एपल को चीन जैसे बड़े मार्केट्स में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चीन में सरकारी एजेंसियों ने एंप्लॉयीज पर एपल के डिवाइसेज के इस्तेमाल को लेकर बंदिशें लगाई हैं।
पिछले कुछ दिनों में माइक्रोसॉफ्ट का शेयर बढ़ा है। पिछले वर्ष जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में ChatGPT मेकर OpenAI में इनवेस्टमेंट के जरिए बड़ा कदम उठाने से माइक्रोसॉफ्ट के शेयर में काफी तेजी आई थी। ChatGPT को डिवेलप करने वाली OpenAI में माइक्रोसॉफ्ट का बड़ा इनवेस्टमेंट है।
बड़ी मात्रा में डेटा के जरिए प्रशिक्षित किए गए जेनरेटिव AI से मनुष्यों के जैसा नया कंटेंट तैयार हो सकता है। इससे साइंस से जुड़े असाइनमेंट पूरे किए जा सकते हैं और नॉवेल भी लिखे जा सकते हैं। हालांकि, जेनरेटिव AI के कई नुकसान भी हैं। इसके इस्तेमाल से ठगी के मामले हो रहे हैं और जाली वीडियो भी बनाए जा रहे हैं। इस वजह से कई देशों में रेगुलेटर्स इसे लेकर सख्ती करने की तैयारी कर रहे हैं। यूरोपियन यूनियन ने अपने AI एक्ट को संशोधित किया है और अमेरिका ने AI रेगुलेशन के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं। भारत में जेनरेटिव AI के इस्तेमाल से धोखाधड़ी के मामले बढ़े हैं। इस वजह से इस पर नियंत्रण करने की मांग हो रही है।
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